दशनाम गोसावी समाज

गोस्वामी (गुसाईं) एक उपनाम हैं। आदि गुरु शंकराचार्य ने गृहस्थ ऋषि समाज के लोगों में से धर्म की हानि को रोकने के लिये श्रेष्ठ ऋषि संतान एक नये सम्प्रदाय की शुरुआत की जिन्हे गुसाईं/गोस्वामी /गोसाईं कहा गया। कुल दस भागों में इन्हे विभाजित किया गया अर्थात इसमें दस तरह की उपजातिया होती है जिनमे 1.पुरी, 2.भारती, 3.सरस्वती, 4.गिरि, 5.पर्वत, 6.सागर, 7.वन, 8.अरण्य, 9.तीर्थ, एवं 10.आश्रम, शामिल है। इन्हें दशनाम गोसाई/गुसाईं/गोस्वामी के रूप मे जाना जाता हैं। इस शीर्षक का मतलब गौ अर्थात पांचो इन्द्रियाँ:- कर्ण, चक्षु, रचना, घ्राण, त्वसा, स्वामी अर्थात नियंत्रण रखने वाला। इस प्रकार गोस्वामी का अर्थ पांचो इन्द्रियों को वश में रखने वाला होता है। लेकिन बोलचाल की भाषा में गोस्वामी का अर्थ हिन्दुओं के रक्षक व गौरक्षक से भी समझा जाता है। गोस्वामी समाज का इतिहास

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